खीरी में 174 में से 131 उम्मीदवारों की जब्त हो चुकी जमानत

 खीरी में 174 में से 131 उम्मीदवारों की जब्त हो चुकी जमानत

लखनऊ। शाहजहांपुर से अलग होकर वर्ष 1957 में अस्तित्व में आई खीरी लोकसभा सीट पर अब तक 16 संसदीय चुनाव हो चुके हैं। इन चुनावों में कुल 174 प्रत्याशी चुनावी अखाड़े में उतरे। उनमें से 131 उम्मीदवार ऐसे थे, जो जमानत बचाने में विफल रहे। उल्लेखनीय है कि चुनाव आयोग के मुताबिक, जब कोई उम्मीदवार सीट पर पड़े कुल वोटों का 1/6 यानी 16.66 % वोट हासिल नहीं कर पाता तो उसकी जमानत जब्त कर ली जाती है।इस सीट पर सात बार जीतने वाली कांग्रेस की भी पांच बार जमानत जब्त हो चुकी है। 1984 में 72.19 फीसदी वोट हासिल करने वाली कांग्रेस का वोट प्रतिशत 2004 के लोकसभा चुनाव में इतना खिसका कि पार्टी 2.79 फीसदी वोट पर ही सिमट गई। वहीं, 1977 के चुनाव में 60.86 फीसदी वोटरों का समर्थन पाने वाली भारतीय लोकदल पार्टी भी दो बार जमानत नहीं बचा पाई। 1989 में पहली बार लोकसभा चुनाव में उतरी बहुजन समाज पार्टी 2.61 फीसदी वोट पाकर जमानत गंवा चुकी है।

पहले चुनाव में सब की बची जमानत-
1957 में इस सीट पर हुए पहले चुनाव में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के खुशवक्त राय विजयी हुए। भारत निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के अनुसार, 1957 में हुए चुनाव में 405123 वोटर थे, जबकि 154396 लोगों ने मताधिकार का प्रयोग किया था। इस चुनाव में लड़ने वाली किसी भी पार्टी की जमानत जब्त नहीं हुई थी। इस चुनाव में तीन ही प्रत्याशी मैदान में थे।

पिछले दो चुनाव का हाल-
2019 के आम चुनाव में खीरी संसदीय सीट जीतने के इरादे से 15 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे। जीत भारतीय जनता पार्टी के अजय मिश्र 'टेनी' को मिली। 15 में से 13 प्रत्याशी अपनी जमानत भी नहीं बचा सके। जमानत गंवाने वालों में कांग्रेस उम्मीदवार जफर अली नकवी भी थे। नकवी को कुल मतों में से 8.11 फीसदी वोट ही मिले और वह अपनी जमानत गंवा बैठे। जमानत गंवाने वालों में सीपीआई, पीस पार्टी के प्रत्याशी भी शामिल थे। 2014 के चुनाव की बात करें तो चुनाव मैदान में 15 प्रत्याशियों में से 13 अपनी जमानत गंवाए। जीत भाजपा के अजय मिश्र टेनी को मिली। जमानत गंवाने वालों में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी रवि प्रकाश वर्मा भी थे।

1996 के चुनाव में 23 की जमानत जब्त-
11वीं लोकसभा के लिए 1996 के आम चुनाव में खीरी संसदीय सीट से 26 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे। 26.25 फीसदी वोट पाकर भारतीय जनता पार्टी गेंदन लाल कनौजिया विजयी घोषित हुए। सपा प्रत्याशी ऊषा वर्मा और बसपा के लालजी चौहान को छोड़कर बाकी सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई। जिनमें 19 निर्दलीय प्रत्याशी शामिल थे। खीरी सीट के संसदीय इतिहास में अब तक जमानत जब्ती का यह सबसे बड़ा आंकड़ा है।

बात बाकी चुनाव की-
1962 के चुनाव में खीरी संसदीय सीट पर 2 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई। वहीं 1967, 71 और 77 के आम चुनाव में 1-1 प्रत्यशी ने अपनी जमानत गंवाई। 1980 के चुनाव में 10, 84 में 10 और 89 में 11 और 91 के चुनाव में 13 उम्मीदवार जमानत बचाने में विफल साबित हुए। 1998 के चुनाव में पांच प्रत्याशियों में से 2 ने जमानत गंवाई। वहीं 1999 में 10, 2004 में 13 और 2009 में 8 उम्मीदवार जमानत गंवा बैठे।

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