स्वस्थ इंसान ही कर सकता है मानव रक्त की आपूर्ति : डा. तरुण सिंह

विश्व थैलेसीमिया दिवस पर 13 रक्तवीरों ने किया रक्तदान

स्वस्थ इंसान ही कर सकता है मानव रक्त की आपूर्ति : डा. तरुण सिंह

मीरजापुर। विंध्य फाउंडेशन ट्रस्ट के तत्वाधान में विश्व थैलेसीमिया दिवस के अवसर पर मंडलीय चिकित्सालय में आठ मई की रात सात से 10 बजे तक स्वैच्छिक रक्तदान शिविर आयोजित किया गया। कुल 18 लोगों ने रक्तदान के लिए पंजीकरण कराया तथा मेडिकल स्क्रीनिंग के बाद 13 लोगों ने रक्तदान कर कार्यक्रम को सफल बनाया।बतौर मुख्य अतिथि मंडलीय चिकित्सालय के एसआईटी डा. तरुण सिंह ने बताया कि विंध्य फाउंडेशन ट्रस्ट रक्त केंद्र में रक्त की आपूर्ति पूरा करने में विशेष सहयोग प्रदान करती आई है। ट्रामा सेंटर के हो जाने से यहां एक्सीडेंटल इमरजेंसी मरीजों को ब्लड मिलने से हम उनकी जान बचाने में कामयाबी हासिल कर पाते हैं।

कहा कि मानव रक्त की आपूर्ति एक स्वस्थ इंसान रक्तदान करके ही पूरा कर सकता है।संस्था के अध्यक्ष कृष्णानन्द हैहयवंशी ने बताया कि यह रक्तदान शिविर थैलेसीमिया मरीज को समर्पित है। ये वे मरीज हैं, जिन्हें पूरी जिन्दगी हर महीनें दो से तीन यूनिट ब्लड चढ़ाया जाता है। संस्था ने मीरजापुर के अभीतक 15 थैलेसीमिया मरीजों को गोद ले रखा है। इसमें दो वर्ष से 35 वर्ष आयु के मरीज शामिल हैं। ऐसे मरीजों को जरूरत पड़ने पर ब्लड की उपलब्धता रक्तदान कर के ही पूरी की जा सकती है ताकि जब भी ये ब्लड चढ़वाने जिला चिकित्सालय आएं तो इनको रक्तकेंद्र से बिना रिप्लेसमेंट के ब्लड मिल जाए।

इन्होंने किया रक्तदान-
रक्तदान करने वाले धनराज कसेरा, बृजेश कुमार, राजकुमार गुप्ता, अमन उमर, वैभव बरनवाल, रोहित कसेरा, अमित कुमार, अजय कुमार बिंद, अविनाश गुप्ता, सुमित केसरवानी, पंकज जायसवाल, दीपक कुमार, आर्येश सेठ रहे। इनमें पांच सदस्यों ने संस्था द्वारा निरंतर हो रहे रक्तदान शिविर से जागरुक होकर पहली बार रक्तदान किया।

रक्तवीरों के कारण ही तय कर पाया जीवन का सफर-
कार्यक्रम में उपस्थित 21 वर्षीय थैलेसीमिया मैरिज निहाल दूबे ने रक्तदान कर रहे रक्तदाताओं को धन्यवाद दिया। कहा कि 2005 से ही मुझे ब्लड चढ़ाया जा रहा है। मैं शुक्रगुजार हूं उन सभी रक्तदाताओं का जो रक्तदान कर रक्त केंद्र पर रक्त जमा करने में अहम भूमिका निभाते हैं जिससे हम थैलेसीमिया मरीजों की जिंदगी चलती रहे। निहाल ने बताया कि मुझे प्रत्येक माह दो यूनिट ब्लड की जरूरत पड़ती है। जब भी मैं ब्लड बैंक आता हूं, मुझे ब्लड मिल जाता है। तभी मैं जीवन का इतना लंबा सफर तय कर पाया हूं।

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