गर्मी के मौसम में बहु कटान वाली ज्वार दुधारू पशुओं हेतु लाभकारी: डॉ. शशिकांत

गर्मी के मौसम में बहु कटान वाली ज्वार दुधारू पशुओं हेतु लाभकारी: डॉ. शशिकांत

कानपुर। गर्मी के मौसम में बहु कटान वाली ज्वार दुधारू पशुओं के लिए बहुत अधिक लाभप्रद होती है। ज्वार का चारा स्वाद व गुणवत्ता में बहुत अच्छा होता है। जिसे पशु बहुत ही चाव से खाते हैं। यह जानकारी बुधवार को चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कानपुर के पशुपालन वैज्ञानिक डॉ शशीकांत ने दी।उन्होंने बताया कि भारत में 4% भूमि पर चारे की खेती की जाती है। जबकि 10% भूमि पर चारे की खेती की जानी चाहिए। ज्वार का चारा स्वाद व गुणवत्ता में बहुत अच्छा होता है जिसे पशु बहुत ही चाव के साथ खाते हैं।

उन्होंने कहा कि शुष्क भार के आधार पर ज्वार (चारे) में औसत 9 से 10% प्रोटीन, 8 से 17% शर्करा, 30 से 32% फाइबर, 36% सैलूलोज एवं 21 से 26% हेमीसैलूलोज पाया जाता है।उन्होंने बताया कि ज्वार (चारा) के बोने का उत्तम समय मध्य अप्रैल से मध्य मई तक रहता है। तथा इसका बीज 40 से 50 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर पड़ता है। बहु कटान वाली चरी की किस्में जैसे- एस एस जी 59-3, एम पी चरी, पूसा चरी 23, सी एस एच 20- एमएफ, सी एस एच -24 एमएफ है। बहू कटान चारे का उत्पादन 650 से 700 कुंतल प्रति हेक्टेयर हरा चारा तथा 150 से 200 कुंतल सूखा चारा प्रति हेक्टेयर उत्पादन होता है।

कटाई से पूर्व सिंचाई अनिवार्य,कटाई के बाद हरे चारे को 4 घंटे धूप में रखना जरूरी-
उन्होंने पशुपालकों को सावधान करते हुए बताया की ज्वार में हाइड्रोसाइएनिक असुरक्षित मात्रा में विद्यमान रहता है। तथा इसकी अधिक सांद्रता पशुओं के लिए हानिकारक होती है। उन्होंने बताया कि हाइड्रोसाइएनिक अम्ल की सांद्रता यदि चारे में 200 पीपीएम से अधिक है। तो यह हानिकारक होती है। उन्होंने बताया कि प्राय: बहु कटान चारा ज्वार के गुण तथा सिंचाई की दशाओं में खेती करने के कारण बुवाई के 50 से 60 दिन में पशुओं के खिलाने योग हो जाती है।

लेकिन यदि जमीन में नमी की कमी रहती है। तो फसल में विषैला तत्व जमा हो जाता है। तथा सूखे की दशा में कटाई के बाद आने वाले कल्लों में हाइड्रोसाइएनिक अम्ल की सांद्रता अधिक होती है। अतः किसान भाई कटाई से पहले सिंचाई करें तथा कटाई के बाद हरे चारे को 4 से 5 घंटे धूप में रखें तत्पश्चात अन्य चारे के साथ उचित मात्रा में मिलाकर पशुओं को खिलाना चाहिए।

Tags: kanpur

About The Author

Latest News