सर्वाधिक मुस्लिमों को टिकट देने वाली बसपा बिगाड़ सकती है समीकरण

सर्वाधिक मुस्लिमों को टिकट देने वाली बसपा बिगाड़ सकती है समीकरण

लखनऊ। पिछले 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में 19 प्रतिशत से ज्यादा वोट पाने वाली बसपा को कम आंकना खतरे से बाहर नहीं है। दलों के साथ ही कई उम्मीदवारों का बसपा खेल बिगाड़ सकती है। उत्तर प्रदेश के कई सीटों पर बसपा के उम्मीदवार सपा और भाजपा के उम्मीदवारों की धड़कने बढ़ा दिए हैं।राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो लोकसभा चुनाव-2024 बसपा ने सोची-समझी रणनीति के तहत टिकट का बंटवारा किया है। बसपा ने एक तरफ सबसे अधिक मुसलमानों (17 सीटें) टिकट देकर उन्हें साधा है तो दूसरी तरफ मुस्लिम धर्म की सबसे बड़ी हितैषी बसपा है, इसे साबित करने की कोशिश की है।

बसपा ने टिकट बंटवारें से यह भी साबित किया है कि वह भाजपा की 'बी' टीम नहीं, प्रतिद्वंदी की तरह मैदान में है।बलिया में जहां बसपा ने लल्लन सिंह यादव को टिकट देकर पूर्वांचल में यह संदेश देने का काम किया है कि सपा में यादव मतलब सिर्फ एक परिवार है, जबकि बसपा ने सबको सहेजकर रखती है। वहीं गाजीपुर में बीएचयू के छात्र नेता रह चुके डा. उमेश कुमार सिंह को टिकट देकर क्षत्रियों में संदेश देने की कोशिश की है। वहां भाजपा ने माफिया के खिलाफ कमजोर उम्मीदवार उतारा तो बसपा ने तेज-तर्रार नेता देकर लोगों में अपनी पैठ बनाने की कोशिश की। इससे यह भी संदेश देने की कोशिश की कि बसपा भाजपा की बी टीम नहीं, वह प्रतिद्वंदी के रूप में ही खड़ी है।

वहीं चंदौली में सत्येंद्र कुमार मौर्य को टिकट देकर भाजपा के वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश की है। वहीं भदोही से अतहर अंसारी को उतारकर मुस्लिम समाज में अच्छा संदेश देने का काम किया है। वहीं बस्ती से दया शंकर मिश्र को टिकट देकर भाजपा का सिरदर्द बढ़ा दिया है। इस बीच बसपा प्रमुख मायावती के भाषणों में भी बदलाव आ गया है। वे कांग्रेस और सपा पर प्रहार कम और भाजपा के खिलाफ उन्होंने प्रहार को बढ़ा दिया है।राजनीतिक विश्लेषक राजीव रंजन सिंह का कहना है कि बसपा भी अच्छी लड़ाई में है। वह उप्र में सीट भले न निकाल पाये, लेकिन उसके वोट प्रतिशत में कमी आने के आसार नहीं दिख रहे। इस बार बसपा प्रमुख ने उम्मीदवारों के चयन में भी काफी सजगता दिखाया है।

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